इस्लाम को लेकर फैले 10 बड़े मिथक और उनकी सच्चाई — जानिए क्या है हकीकत?

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म होने के बावजूद, इस्लाम को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। अधूरी जानकारी और पूर्वाग्रहों के चलते लोग कई बार ऐसे मिथकों को सच मान लेते हैं, जिनका इस्लाम से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं होता। आइए जानें ऐसे ही 10 आम मिथ और उनकी सच्चाई।

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मिथ: इस्लाम महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं देता

सच्चाई:
कुरान में पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से इंसान माना गया है। इस्लाम महिलाओं को शिक्षा, संपत्ति पर अधिकार, तलाक और काम करने की स्वतंत्रता देता है। हजरत आयशा खुद एक विदुषी थीं और हदीसों की बड़ी व्याख्याता मानी जाती हैं।

मिथ: इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा देता है

सच्चाई:
“इस्लाम” शब्द ही “सलाम” (शांति) से आया है। कुरान किसी भी निर्दोष की हत्या को पूरी मानवता की हत्या मानता है (सूरह माईदा 5:32)। आतंकवाद की घटनाओं का इस्लाम के मूल सिद्धांतों से कोई संबंध नहीं।

मिथ: मुस्लिम सिर्फ अरबी लोग होते हैं

सच्चाई:
इस्लाम एक धर्म है, नस्ल नहीं। इंडोनेशिया, भारत, बांग्लादेश, तुर्की, ईरान जैसे देशों में करोड़ों मुस्लिम रहते हैं जिनकी संस्कृति और भाषा अलग है।

मिथ: मुस्लिम गैर-मुस्लिमों से नफरत करते हैं

सच्चाई:
कुरान सभी मानव जाति की सेवा करने की बात करता है। इस्लाम में यहूदियों और ईसाइयों को ‘अहल-ए-किताब’ (पुस्तक वाले) कहा गया है और उनके साथ सद्भाव बनाए रखने की बात की गई है।

मिथ: इस्लाम जबरन धर्म परिवर्तन कराता है

सच्चाई:
कुरान में स्पष्ट कहा गया है: “धर्म में कोई जबरदस्ती नहीं है” (सूरह बक़राह 2:256)। इस्लाम आत्म-स्वीकृति और आस्था के आधार पर धर्म स्वीकार करने की बात करता है।

मिथ: मुस्लिम समाज पिछड़ा हुआ है

सच्चाई:
इतिहास गवाह है कि मुस्लिम समाज ने गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा और दर्शन में विश्व को बहुमूल्य योगदान दिया। आज भी कई मुस्लिम वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और लेखक वैश्विक मंचों पर अग्रणी हैं।

मिथ: मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को ही इबादत करते हैं

सच्चाई:
मुस्लिम दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं। शुक्रवार को जुमे की विशेष नमाज होती है, लेकिन इबादत सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं होती।

मिथ: कुरान महिलाओं को पर्दे में रहने का आदेश देता है क्योंकि वे कमज़ोर हैं

सच्चाई:
पर्दा एक नैतिकता का प्रतीक है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों पर लागू होता है। यह व्यक्तिगत पसंद का विषय है, और इसका उद्देश्य शरीर की बजाय व्यक्ति की सोच को महत्व देना है।

मिथ: इस्लाम विज्ञान-विरोधी है

सच्चाई:
कुरान में विज्ञान से जुड़ी कई आयतें हैं — भ्रूण विकास, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पानी का चक्र आदि। मुस्लिम स्वर्ण युग के दौरान वैज्ञानिक प्रगति चरम पर थी।

मिथ: मुस्लिम मांसाहारी ही होते हैं और शाकाहारी नहीं हो सकते

सच्चाई:
इस्लाम में खानपान की आज़ादी है, जब तक वह हलाल (वैध) हो। कोई मुस्लिम अगर शाकाहारी रहना चाहे तो उस पर कोई धार्मिक रोक नहीं है।

हर धर्म की तरह, इस्लाम को भी समझने के लिए गहराई और संदर्भ की ज़रूरत है, न कि अफवाहों और अर्धसत्य पर आधारित धारणाओं की। सही जानकारी से न केवल भ्रांतियाँ दूर होती हैं, बल्कि आपसी सद्भाव और समझ का रास्ता भी खुलता है।

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